Welcome to the great world of greatest stories.Narrated by Sameer Goswami
https://kahanisuno.comलेखक मुंशी प्रेमचंद Writer Munshi Premchandस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttp://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameerhttps://sameergoswami.com
https://kahanisuno.comलेखक मुंशी प्रेमचंद Writer Munshi Premchandस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttp://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameerhttps://sameergoswami.com
https://kahanisuno.comलेखक मुंशी प्रेमचंद Writer Munshi Premchandस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttp://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameerhttps://sameergoswami.com
https://kahanisuno.comलेखक मुंशी प्रेमचंद Writer Munshi Premchandस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttp://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameerhttps://sameergoswami.com
https://kahanisuno.comलेखक मुंशी प्रेमचंद Writer Munshi Premchandस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttp://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameerhttps://sameergoswami.com
https://kahanisuno.comलेखक मुंशी प्रेमचंद Writer Munshi Premchandस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttp://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameerhttps://sameergoswami.com
इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में ना॰ पार्थसारथी ने एक निर्धन किंतु अत्यंत प्रतिभाशाली कलाकार के आत्माभिमान, व सिने जगत में सफल, समृद्ध, उसके पुराने कलाकार मित्र के बीच टकराव की कहानी प्रस्तुत की है। ना॰ पार्थसारथी तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास समुदाय वीधि के लिये उन्हें सन् 1971 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।उपन्यास यह गली बिकाऊ नहीं Novel Yeh Gali Bikau Nahinलेखक ना॰ पार्थसारथी Writer Na. Parthasarathyस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में निराला ने एक तवायफ़ की संस्कारित, शिक्षित लड़की द्वारा विवाह कर, अपने आत्म सम्मान के साथ, सभ्य समाज में प्रवेश करने, और अपना स्थान व अधिकार प्राप्त करने की कहानी।उपन्यास अप्सरा Novel Apsaraलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में निराला ने एक तवायफ़ की संस्कारित, शिक्षित लड़की द्वारा विवाह कर, अपने आत्म सम्मान के साथ, सभ्य समाज में प्रवेश करने, और अपना स्थान व अधिकार प्राप्त करने की कहानी।उपन्यास अप्सरा Novel Apsaraलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में निराला ने एक तवायफ़ की संस्कारित, शिक्षित लड़की द्वारा विवाह कर, अपने आत्म सम्मान के साथ, सभ्य समाज में प्रवेश करने, और अपना स्थान व अधिकार प्राप्त करने की कहानी।उपन्यास अप्सरा Novel Apsaraलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में निराला ने एक तवायफ़ की संस्कारित, शिक्षित लड़की द्वारा विवाह कर, अपने आत्म सम्मान के साथ, सभ्य समाज में प्रवेश करने, और अपना स्थान व अधिकार प्राप्त करने की कहानी।उपन्यास अप्सरा Novel Apsaraलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में निराला ने एक तवायफ़ की संस्कारित, शिक्षित लड़की द्वारा विवाह कर, अपने आत्म सम्मान के साथ, सभ्य समाज में प्रवेश करने, और अपना स्थान व अधिकार प्राप्त करने की कहानी।उपन्यास अप्सरा Novel Apsaraलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में निराला ने एक तवायफ़ की संस्कारित, शिक्षित लड़की द्वारा विवाह कर, अपने आत्म सम्मान के साथ, सभ्य समाज में प्रवेश करने, और अपना स्थान व अधिकार प्राप्त करने की कहानी।उपन्यास अप्सरा Novel Apsaraलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में निराला ने एक तवायफ़ की संस्कारित, शिक्षित लड़की द्वारा विवाह कर, अपने आत्म सम्मान के साथ, सभ्य समाज में प्रवेश करने, और अपना स्थान व अधिकार प्राप्त करने की कहानी।उपन्यास अप्सरा Novel Apsaraलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में निराला ने एक तवायफ़ की संस्कारित, शिक्षित लड़की द्वारा विवाह कर, अपने आत्म सम्मान के साथ, सभ्य समाज में प्रवेश करने, और अपना स्थान व अधिकार प्राप्त करने की कहानी।उपन्यास अप्सरा Novel Apsaraलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में निराला ने एक तवायफ़ की संस्कारित, शिक्षित लड़की द्वारा विवाह कर, अपने आत्म सम्मान के साथ, सभ्य समाज में प्रवेश करने, और अपना स्थान व अधिकार प्राप्त करने की कहानी।उपन्यास अप्सरा Novel Apsaraलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में निराला ने अवध क्षेत्र के किसानों और जनसाधारण के अभावग्रस्त और दयनीय जीवन का चित्रण किया है एक अनाथ ग्रामीण लड़की की ज़िंदगी में आए उतारचढ़ाव, ज़मींदार के हथकंडे व अत्याचार, ग्रामीणों की दुर्दशा, छटपटाहट और उबरने के प्रयासों की कहानी।उपन्यास अलका Novel Alkaलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में निराला ने अवध क्षेत्र के किसानों और जनसाधारण के अभावग्रस्त और दयनीय जीवन का चित्रण किया है एक अनाथ ग्रामीण लड़की की ज़िंदगी में आए उतारचढ़ाव, ज़मींदार के हथकंडे व अत्याचार, ग्रामीणों की दुर्दशा, छटपटाहट और उबरने के प्रयासों की कहानी।उपन्यास अलका Novel Alkaलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में निराला ने अवध क्षेत्र के किसानों और जनसाधारण के अभावग्रस्त और दयनीय जीवन का चित्रण किया है एक अनाथ ग्रामीण लड़की की ज़िंदगी में आए उतारचढ़ाव, ज़मींदार के हथकंडे व अत्याचार, ग्रामीणों की दुर्दशा, छटपटाहट और उबरने के प्रयासों की कहानी।उपन्यास अलका Novel Alkaलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में निराला ने अवध क्षेत्र के किसानों और जनसाधारण के अभावग्रस्त और दयनीय जीवन का चित्रण किया है एक अनाथ ग्रामीण लड़की की ज़िंदगी में आए उतारचढ़ाव, ज़मींदार के हथकंडे व अत्याचार, ग्रामीणों की दुर्दशा, छटपटाहट और उबरने के प्रयासों की कहानी।उपन्यास अलका Novel Alkaलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में निराला ने अवध क्षेत्र के किसानों और जनसाधारण के अभावग्रस्त और दयनीय जीवन का चित्रण किया है एक अनाथ ग्रामीण लड़की की ज़िंदगी में आए उतारचढ़ाव, ज़मींदार के हथकंडे व अत्याचार, ग्रामीणों की दुर्दशा, छटपटाहट और उबरने के प्रयासों की कहानी।उपन्यास अलका Novel Alkaलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में निराला ने अवध क्षेत्र के किसानों और जनसाधारण के अभावग्रस्त और दयनीय जीवन का चित्रण किया है एक अनाथ ग्रामीण लड़की की ज़िंदगी में आए उतारचढ़ाव, ज़मींदार के हथकंडे व अत्याचार, ग्रामीणों की दुर्दशा, छटपटाहट और उबरने के प्रयासों की कहानी।उपन्यास अलका Novel Alkaलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में निराला ने अवध क्षेत्र के किसानों और जनसाधारण के अभावग्रस्त और दयनीय जीवन का चित्रण किया है एक अनाथ ग्रामीण लड़की की ज़िंदगी में आए उतारचढ़ाव, ज़मींदार के हथकंडे व अत्याचार, ग्रामीणों की दुर्दशा, छटपटाहट और उबरने के प्रयासों की कहानी।उपन्यास अलका Novel Alkaलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में निराला ने अवध क्षेत्र के किसानों और जनसाधारण के अभावग्रस्त और दयनीय जीवन का चित्रण किया है एक अनाथ ग्रामीण लड़की की ज़िंदगी में आए उतारचढ़ाव, ज़मींदार के हथकंडे व अत्याचार, ग्रामीणों की दुर्दशा, छटपटाहट और उबरने के प्रयासों की कहानी।उपन्यास अलका Novel Alkaलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में निराला ने अवध क्षेत्र के किसानों और जनसाधारण के अभावग्रस्त और दयनीय जीवन का चित्रण किया है एक अनाथ ग्रामीण लड़की की ज़िंदगी में आए उतारचढ़ाव, ज़मींदार के हथकंडे व अत्याचार, ग्रामीणों की दुर्दशा, छटपटाहट और उबरने के प्रयासों की कहानी।उपन्यास अलका Novel Alkaलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में निराला ने अवध क्षेत्र के किसानों और जनसाधारण के अभावग्रस्त और दयनीय जीवन का चित्रण किया है एक अनाथ ग्रामीण लड़की की ज़िंदगी में आए उतारचढ़ाव, ज़मींदार के हथकंडे व अत्याचार, ग्रामीणों की दुर्दशा, छटपटाहट और उबरने के प्रयासों की कहानी।उपन्यास अलका Novel Alkaलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में ना॰ पार्थसारथी ने एक निर्धन किंतु अत्यंत प्रतिभाशाली कलाकार के आत्माभिमान, व सिने जगत में सफल, समृद्ध, उसके पुराने कलाकार मित्र के बीच टकराव की कहानी प्रस्तुत की है। ना॰ पार्थसारथी तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास समुदाय वीधि के लिये उन्हें सन् 1971 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।उपन्यास यह गली बिकाऊ नहीं Novel Yeh Gali Bikau Nahinलेखक ना॰ पार्थसारथी Writer Na. Parthasarathyस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में ना॰ पार्थसारथी ने एक निर्धन किंतु अत्यंत प्रतिभाशाली कलाकार के आत्माभिमान, व सिने जगत में सफल, समृद्ध, उसके पुराने कलाकार मित्र के बीच टकराव की कहानी प्रस्तुत की है। ना॰ पार्थसारथी तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास समुदाय वीधि के लिये उन्हें सन् 1971 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।उपन्यास यह गली बिकाऊ नहीं Novel Yeh Gali Bikau Nahinलेखक ना॰ पार्थसारथी Writer Na. Parthasarathyस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में ना॰ पार्थसारथी ने एक निर्धन किंतु अत्यंत प्रतिभाशाली कलाकार के आत्माभिमान, व सिने जगत में सफल, समृद्ध, उसके पुराने कलाकार मित्र के बीच टकराव की कहानी प्रस्तुत की है। ना॰ पार्थसारथी तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास समुदाय वीधि के लिये उन्हें सन् 1971 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।उपन्यास यह गली बिकाऊ नहीं Novel Yeh Gali Bikau Nahinलेखक ना॰ पार्थसारथी Writer Na. Parthasarathyस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बालविवाह पश्चात पति के ग़ायब होने व पिता के सन्यासी बनने से व्यथित व दुखी एक अबोध बालिका को, अपने झूठे प्रेम जाल में फँसाने के लिए गाँव के एक रईस ज़मींदार पुत्र द्वारा अपनाई चालों, हथकंडो और बालिका के उनमें फँसने, मुक्त होने एवं अंत में पति व पिता के मिलने और अंतिम समय में ज़मींदार पुत्र के हृदय परिवर्तन की कहानी।उपन्यास अधखिला फूल Novel Adhkhila Phoolलेखक अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध Writer Ayodhya Singh Upadhyay Hari Oudhस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बालविवाह पश्चात पति के ग़ायब होने व पिता के सन्यासी बनने से व्यथित व दुखी एक अबोध बालिका को, अपने झूठे प्रेम जाल में फँसाने के लिए गाँव के एक रईस ज़मींदार पुत्र द्वारा अपनाई चालों, हथकंडो और बालिका के उनमें फँसने, मुक्त होने एवं अंत में पति व पिता के मिलने और अंतिम समय में ज़मींदार पुत्र के हृदय परिवर्तन की कहानी।उपन्यास अधखिला फूल Novel Adhkhila Phoolलेखक अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध Writer Ayodhya Singh Upadhyay Hari Oudhस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बालविवाह पश्चात पति के ग़ायब होने व पिता के सन्यासी बनने से व्यथित व दुखी एक अबोध बालिका को, अपने झूठे प्रेम जाल में फँसाने के लिए गाँव के एक रईस ज़मींदार पुत्र द्वारा अपनाई चालों, हथकंडो और बालिका के उनमें फँसने, मुक्त होने एवं अंत में पति व पिता के मिलने और अंतिम समय में ज़मींदार पुत्र के हृदय परिवर्तन की कहानी।उपन्यास अधखिला फूल Novel Adhkhila Phoolलेखक अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध Writer Ayodhya Singh Upadhyay Hari Oudhस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बालविवाह पश्चात पति के ग़ायब होने व पिता के सन्यासी बनने से व्यथित व दुखी एक अबोध बालिका को, अपने झूठे प्रेम जाल में फँसाने के लिए गाँव के एक रईस ज़मींदार पुत्र द्वारा अपनाई चालों, हथकंडो और बालिका के उनमें फँसने, मुक्त होने एवं अंत में पति व पिता के मिलने और अंतिम समय में ज़मींदार पुत्र के हृदय परिवर्तन की कहानी।उपन्यास अधखिला फूल Novel Adhkhila Phoolलेखक अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध Writer Ayodhya Singh Upadhyay Hari Oudhस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
उपन्यास आँख की किरकिरी चोखेर बाली Novel Aankh Ki Kirkiri Chokher Baliलेखक रवीन्द्रनाथ टैगौर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
उपन्यास आँख की किरकिरी चोखेर बाली Novel Aankh Ki Kirkiri Chokher Baliलेखक रवीन्द्रनाथ टैगौर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
उपन्यास आँख की किरकिरी चोखेर बाली Novel Aankh Ki Kirkiri Chokher Baliलेखक रवीन्द्रनाथ टैगौर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
उपन्यास आँख की किरकिरी चोखेर बाली Novel Aankh Ki Kirkiri Chokher Baliलेखक रवीन्द्रनाथ टैगौर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
उपन्यास आँख की किरकिरी चोखेर बाली Novel Aankh Ki Kirkiri Chokher Baliलेखक रवीन्द्रनाथ टैगौर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
उपन्यास आँख की किरकिरी चोखेर बाली Novel Aankh Ki Kirkiri Chokher Baliलेखक रवीन्द्रनाथ टैगौर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
उपन्यास आँख की किरकिरी चोखेर बाली Novel Aankh Ki Kirkiri Chokher Baliलेखक रवीन्द्रनाथ टैगौर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
उपन्यास आँख की किरकिरी चोखेर बाली Novel Aankh Ki Kirkiri Chokher Baliलेखक रवीन्द्रनाथ टैगौर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
उपन्यास आँख की किरकिरी चोखेर बाली Novel Aankh Ki Kirkiri Chokher Baliलेखक रवीन्द्रनाथ टैगौर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
उपन्यास आँख की किरकिरी चोखेर बाली Novel Aankh Ki Kirkiri Chokher Baliलेखक रवीन्द्रनाथ टैगौर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
उपन्यास आँख की किरकिरी चोखेर बाली Novel Aankh Ki Kirkiri Chokher Baliलेखक रवीन्द्रनाथ टैगौर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
उपन्यास आँख की किरकिरी चोखेर बाली Novel Aankh Ki Kirkiri Chokher Baliलेखक रवीन्द्रनाथ टैगौर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
उपन्यास आँख की किरकिरी चोखेर बाली Novel Aankh Ki Kirkiri Chokher Baliलेखक रवीन्द्रनाथ टैगौर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
उपन्यास आँख की किरकिरी चोखेर बाली Novel Aankh Ki Kirkiri Chokher Baliलेखक रवीन्द्रनाथ टैगौर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
उपन्यास आँख की किरकिरी चोखेर बाली Novel Aankh Ki Kirkiri Chokher Baliलेखक रवीन्द्रनाथ टैगौर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com
बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है। सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नह