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Kahani Suno

U/A 13+ • Fiction

Welcome to the great world of greatest stories.Narrated by Sameer Goswami

  • प्रेमचंद की लिखी कहानी जुर्माना का वाचन, Narration of Premchand story Jurmana.
    8 min 29 sec

    प्रेमचंद की लिखी कहानी जुर्माना का वाचन, Narration of Premchand story Jurmana.

  • "उन्माद" - मुंशी प्रेमचंद की लिखी कहानी "Unmaad" - A Story written by Munshi Premchand
    44 min 44 sec

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  • "दूध का दाम" - मुंशी प्रेमचंद की लिखी कहानी "Doodh Ka Daam" - A Story written by Munshi Premchand
    21 min 5 sec

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  • "शांति 1" - मुंशी प्रेमचंद की लिखी कहानी "Shanti 1" - A Story written by Munshi Premchand
    34 min 50 sec

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  • "मनोवृत्ति" - मुंशी प्रेमचंद की लिखी कहानी "Manovritti" - A Story written by Munshi Premchand
    13 min 3 sec

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  • "डिक्री के रुपये" - मुंशी प्रेमचंद की लिखी कहानी "Decree Ke Rupaye" - A Story written by Munshi Premchand
    31 min 31 sec

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  • ज्योति - मुंशी प्रेमचंद की लिखी कहानी | Jyoti - A Story written by Munshi Premchand
    23 min 58 sec

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  • Gora | Part - 76 | A Novel by Rabindranath Tagore| गोरा | रवीन्द्रनाथ टैगोर का लिखा उपन्यास
    10 min 9 sec

    इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Gora | Part - 74 | A Novel by Rabindranath Tagore| गोरा | रवीन्द्रनाथ टैगोर का लिखा उपन्यास
    13 min 55 sec

    इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Gora | Part - 70 | A Novel by Rabindranath Tagore| गोरा | रवीन्द्रनाथ टैगोर का लिखा उपन्यास
    15 min 1 sec

    इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Gora | Part - 64 | A Novel by Rabindranath Tagore| गोरा | रवीन्द्रनाथ टैगोर का लिखा उपन्यास
    9 min 25 sec

    इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Gora | Part - 63 | A Novel by Rabindranath Tagore| गोरा | रवीन्द्रनाथ टैगोर का लिखा उपन्यास
    15 min 34 sec

    इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Gora | Part - 62 | A Novel by Rabindranath Tagore| गोरा | रवीन्द्रनाथ टैगोर का लिखा उपन्यास
    27 min 20 sec

    इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Gora | Part - 58 | A Novel by Rabindranath Tagore| गोरा | रवीन्द्रनाथ टैगोर का लिखा उपन्यास
    12 min 42 sec

    इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Gora | Part - 57 | A Novel by Rabindranath Tagore| गोरा | रवीन्द्रनाथ टैगोर का लिखा उपन्यास
    26 min 2 sec

    इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Gora | Part - 55 | A Novel by Rabindranath Tagore| गोरा | रवीन्द्रनाथ टैगोर का लिखा उपन्यास
    37 min 48 sec

    इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Yeh Gali Bikau Nahin | Part - 3 | A Novel by Na. Parthasarathy| यह गली बिकाऊ नहीं | ना॰ पार्थसारथी का लिखा उपन्यास
    17 min 23 sec

    इस उपन्यास में ना॰ पार्थसारथी ने एक निर्धन किंतु अत्यंत प्रतिभाशाली कलाकार के आत्माभिमान, व सिने जगत में सफल, समृद्ध, उसके पुराने कलाकार मित्र के बीच टकराव की कहानी प्रस्तुत की है। ना॰ पार्थसारथी तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास समुदाय वीधि के लिये उन्हें सन् 1971 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।उपन्यास यह गली बिकाऊ नहीं Novel Yeh Gali Bikau Nahinलेखक ना॰ पार्थसारथी Writer Na. Parthasarathyस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Apsara | Part - 25 | A Novel by Suryakant Tripathi 'Nirala' | अप्सरा | सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का लिखा उपन्यास
    1 min 49 sec

    इस उपन्यास में निराला ने एक तवायफ़ की संस्कारित, शिक्षित लड़की द्वारा विवाह कर, अपने आत्म सम्मान के साथ, सभ्य समाज में प्रवेश करने, और अपना स्थान व अधिकार प्राप्त करने की कहानी।उपन्यास अप्सरा Novel Apsaraलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Apsara | Part - 21 | A Novel by Suryakant Tripathi 'Nirala' | अप्सरा | सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का लिखा उपन्यास
    13 min 37 sec

    इस उपन्यास में निराला ने एक तवायफ़ की संस्कारित, शिक्षित लड़की द्वारा विवाह कर, अपने आत्म सम्मान के साथ, सभ्य समाज में प्रवेश करने, और अपना स्थान व अधिकार प्राप्त करने की कहानी।उपन्यास अप्सरा Novel Apsaraलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Apsara | Part - 20 | A Novel by Suryakant Tripathi 'Nirala' | अप्सरा | सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का लिखा उपन्यास
    16 min 26 sec

    इस उपन्यास में निराला ने एक तवायफ़ की संस्कारित, शिक्षित लड़की द्वारा विवाह कर, अपने आत्म सम्मान के साथ, सभ्य समाज में प्रवेश करने, और अपना स्थान व अधिकार प्राप्त करने की कहानी।उपन्यास अप्सरा Novel Apsaraलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Apsara | Part - 16 | A Novel by Suryakant Tripathi 'Nirala' | अप्सरा | सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का लिखा उपन्यास
    16 min 31 sec

    इस उपन्यास में निराला ने एक तवायफ़ की संस्कारित, शिक्षित लड़की द्वारा विवाह कर, अपने आत्म सम्मान के साथ, सभ्य समाज में प्रवेश करने, और अपना स्थान व अधिकार प्राप्त करने की कहानी।उपन्यास अप्सरा Novel Apsaraलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Apsara | Part - 10 | A Novel by Suryakant Tripathi 'Nirala' | अप्सरा | सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का लिखा उपन्यास
    26 min 32 sec

    इस उपन्यास में निराला ने एक तवायफ़ की संस्कारित, शिक्षित लड़की द्वारा विवाह कर, अपने आत्म सम्मान के साथ, सभ्य समाज में प्रवेश करने, और अपना स्थान व अधिकार प्राप्त करने की कहानी।उपन्यास अप्सरा Novel Apsaraलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Apsara | Part - 8 | A Novel by Suryakant Tripathi 'Nirala' | अप्सरा | सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का लिखा उपन्यास
    8 min 59 sec

    इस उपन्यास में निराला ने एक तवायफ़ की संस्कारित, शिक्षित लड़की द्वारा विवाह कर, अपने आत्म सम्मान के साथ, सभ्य समाज में प्रवेश करने, और अपना स्थान व अधिकार प्राप्त करने की कहानी।उपन्यास अप्सरा Novel Apsaraलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Apsara | Part - 7 | A Novel by Suryakant Tripathi 'Nirala' | अप्सरा | सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का लिखा उपन्यास
    27 min 3 sec

    इस उपन्यास में निराला ने एक तवायफ़ की संस्कारित, शिक्षित लड़की द्वारा विवाह कर, अपने आत्म सम्मान के साथ, सभ्य समाज में प्रवेश करने, और अपना स्थान व अधिकार प्राप्त करने की कहानी।उपन्यास अप्सरा Novel Apsaraलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Apsara | Part - 4 | A Novel by Suryakant Tripathi 'Nirala' | अप्सरा | सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का लिखा उपन्यास
    13 min 56 sec

    इस उपन्यास में निराला ने एक तवायफ़ की संस्कारित, शिक्षित लड़की द्वारा विवाह कर, अपने आत्म सम्मान के साथ, सभ्य समाज में प्रवेश करने, और अपना स्थान व अधिकार प्राप्त करने की कहानी।उपन्यास अप्सरा Novel Apsaraलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Apsara | Part - 2 | A Novel by Suryakant Tripathi 'Nirala' | अप्सरा | सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का लिखा उपन्यास
    7 min 7 sec

    इस उपन्यास में निराला ने एक तवायफ़ की संस्कारित, शिक्षित लड़की द्वारा विवाह कर, अपने आत्म सम्मान के साथ, सभ्य समाज में प्रवेश करने, और अपना स्थान व अधिकार प्राप्त करने की कहानी।उपन्यास अप्सरा Novel Apsaraलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Alka | Part - 25 | A Novel by Suryakant Tripathi 'Nirala' | अलका | सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का लिखा उपन्यास
    7 min 54 sec

    इस उपन्यास में निराला ने अवध क्षेत्र के किसानों और जनसाधारण के अभावग्रस्त और दयनीय जीवन का चित्रण किया है एक अनाथ ग्रामीण लड़की की ज़िंदगी में आए उतारचढ़ाव, ज़मींदार के हथकंडे व अत्याचार, ग्रामीणों की दुर्दशा, छटपटाहट और उबरने के प्रयासों की कहानी।उपन्यास अलका Novel Alkaलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Alka | Part - 23 | A Novel by Suryakant Tripathi 'Nirala' | अलका | सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का लिखा उपन्यास
    9 min 42 sec

    इस उपन्यास में निराला ने अवध क्षेत्र के किसानों और जनसाधारण के अभावग्रस्त और दयनीय जीवन का चित्रण किया है एक अनाथ ग्रामीण लड़की की ज़िंदगी में आए उतारचढ़ाव, ज़मींदार के हथकंडे व अत्याचार, ग्रामीणों की दुर्दशा, छटपटाहट और उबरने के प्रयासों की कहानी।उपन्यास अलका Novel Alkaलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Alka | Part - 21 | A Novel by Suryakant Tripathi 'Nirala' | अलका | सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का लिखा उपन्यास
    12 min 26 sec

    इस उपन्यास में निराला ने अवध क्षेत्र के किसानों और जनसाधारण के अभावग्रस्त और दयनीय जीवन का चित्रण किया है एक अनाथ ग्रामीण लड़की की ज़िंदगी में आए उतारचढ़ाव, ज़मींदार के हथकंडे व अत्याचार, ग्रामीणों की दुर्दशा, छटपटाहट और उबरने के प्रयासों की कहानी।उपन्यास अलका Novel Alkaलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Alka | Part - 20 | A Novel by Suryakant Tripathi 'Nirala' | अलका | सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का लिखा उपन्यास
    9 min 30 sec

    इस उपन्यास में निराला ने अवध क्षेत्र के किसानों और जनसाधारण के अभावग्रस्त और दयनीय जीवन का चित्रण किया है एक अनाथ ग्रामीण लड़की की ज़िंदगी में आए उतारचढ़ाव, ज़मींदार के हथकंडे व अत्याचार, ग्रामीणों की दुर्दशा, छटपटाहट और उबरने के प्रयासों की कहानी।उपन्यास अलका Novel Alkaलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Alka | Part - 14 | A Novel by Suryakant Tripathi 'Nirala' | अलका | सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का लिखा उपन्यास
    10 min 52 sec

    इस उपन्यास में निराला ने अवध क्षेत्र के किसानों और जनसाधारण के अभावग्रस्त और दयनीय जीवन का चित्रण किया है एक अनाथ ग्रामीण लड़की की ज़िंदगी में आए उतारचढ़ाव, ज़मींदार के हथकंडे व अत्याचार, ग्रामीणों की दुर्दशा, छटपटाहट और उबरने के प्रयासों की कहानी।उपन्यास अलका Novel Alkaलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Alka | Part - 10 | A Novel by Suryakant Tripathi 'Nirala' | अलका | सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का लिखा उपन्यास
    15 min 4 sec

    इस उपन्यास में निराला ने अवध क्षेत्र के किसानों और जनसाधारण के अभावग्रस्त और दयनीय जीवन का चित्रण किया है एक अनाथ ग्रामीण लड़की की ज़िंदगी में आए उतारचढ़ाव, ज़मींदार के हथकंडे व अत्याचार, ग्रामीणों की दुर्दशा, छटपटाहट और उबरने के प्रयासों की कहानी।उपन्यास अलका Novel Alkaलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Alka | Part - 8 | A Novel by Suryakant Tripathi 'Nirala' | अलका | सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का लिखा उपन्यास
    11 min 16 sec

    इस उपन्यास में निराला ने अवध क्षेत्र के किसानों और जनसाधारण के अभावग्रस्त और दयनीय जीवन का चित्रण किया है एक अनाथ ग्रामीण लड़की की ज़िंदगी में आए उतारचढ़ाव, ज़मींदार के हथकंडे व अत्याचार, ग्रामीणों की दुर्दशा, छटपटाहट और उबरने के प्रयासों की कहानी।उपन्यास अलका Novel Alkaलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Alka | Part - 6 | A Novel by Suryakant Tripathi 'Nirala' | अलका | सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का लिखा उपन्यास
    8 min 34 sec

    इस उपन्यास में निराला ने अवध क्षेत्र के किसानों और जनसाधारण के अभावग्रस्त और दयनीय जीवन का चित्रण किया है एक अनाथ ग्रामीण लड़की की ज़िंदगी में आए उतारचढ़ाव, ज़मींदार के हथकंडे व अत्याचार, ग्रामीणों की दुर्दशा, छटपटाहट और उबरने के प्रयासों की कहानी।उपन्यास अलका Novel Alkaलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Alka | Part - 5 | A Novel by Suryakant Tripathi 'Nirala' | अलका | सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का लिखा उपन्यास
    19 min 8 sec

    इस उपन्यास में निराला ने अवध क्षेत्र के किसानों और जनसाधारण के अभावग्रस्त और दयनीय जीवन का चित्रण किया है एक अनाथ ग्रामीण लड़की की ज़िंदगी में आए उतारचढ़ाव, ज़मींदार के हथकंडे व अत्याचार, ग्रामीणों की दुर्दशा, छटपटाहट और उबरने के प्रयासों की कहानी।उपन्यास अलका Novel Alkaलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Alka | Part - 4 | A Novel by Suryakant Tripathi 'Nirala' | अलका | सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' का लिखा उपन्यास
    4 min 28 sec

    इस उपन्यास में निराला ने अवध क्षेत्र के किसानों और जनसाधारण के अभावग्रस्त और दयनीय जीवन का चित्रण किया है एक अनाथ ग्रामीण लड़की की ज़िंदगी में आए उतारचढ़ाव, ज़मींदार के हथकंडे व अत्याचार, ग्रामीणों की दुर्दशा, छटपटाहट और उबरने के प्रयासों की कहानी।उपन्यास अलका Novel Alkaलेखक सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला Writer Suryakant Tripathi Niralaस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Vayam Rakshamah - Part 106 - Mahatej Kumbhkarn | वयं रक्षाम: - भाग 106 - महातेज कुम्भकर्ण | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
    12 min 39 sec

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Vayam Rakshamah - Part 105 - Tumul Yuddh | वयं रक्षाम: - भाग 105 - तुमुल युद्ध | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
    11 min 12 sec

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Vayam Rakshamah - Part 104 - Harsh Vishaad | वयं रक्षाम: - भाग 104 - हर्ष -विषाद | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
    5 min 19 sec

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Vayam Rakshamah - Part 94 - Abhigaman | वयं रक्षाम: - भाग 94 - अभिगमन | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
    5 min 25 sec

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Vayam Rakshamah - Part 93 - Parakram Ka Santulan | वयं रक्षाम: - भाग 93 - पराक्रम का संतुलन | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
    17 min 36 sec

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Vayam Rakshamah - Part 86 - Ashok Van | वयं रक्षाम: - भाग 86 - अशोक वन | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
    20 min 20 sec

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Vayam Rakshamah - Part 80 - Jatayu Ka Aatm Yagya | वयं रक्षाम: - भाग 80 - जटायु का आत्मयज्ञ | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
    4 min 19 sec

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Gora | Part - 49 | A Novel by Rabindranath Tagore| गोरा | रवीन्द्रनाथ टैगोर का लिखा उपन्यास
    9 min 49 sec

    इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Gora | Part - 46 | A Novel by Rabindranath Tagore| गोरा | रवीन्द्रनाथ टैगोर का लिखा उपन्यास
    10 min 31 sec

    इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Gora | Part - 43 | A Novel by Rabindranath Tagore| गोरा | रवीन्द्रनाथ टैगोर का लिखा उपन्यास
    14 min 47 sec

    इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Gora | Part - 40 | A Novel by Rabindranath Tagore| गोरा | रवीन्द्रनाथ टैगोर का लिखा उपन्यास
    6 min 16 sec

    इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Gora | Part - 39 | A Novel by Rabindranath Tagore| गोरा | रवीन्द्रनाथ टैगोर का लिखा उपन्यास
    27 min 52 sec

    इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Gora | Part - 36 | A Novel by Rabindranath Tagore| गोरा | रवीन्द्रनाथ टैगोर का लिखा उपन्यास
    26 min 36 sec

    इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Gora | Part - 31 | A Novel by Rabindranath Tagore| गोरा | रवीन्द्रनाथ टैगोर का लिखा उपन्यास
    12 min 18 sec

    इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Gora | Part - 30 | A Novel by Rabindranath Tagore| गोरा | रवीन्द्रनाथ टैगोर का लिखा उपन्यास
    17 min 8 sec

    इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Vayam Rakshamah - Part 128 - Upsanhar | वयं रक्षाम: - भाग 128 - उपसंहार | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
    15 min 14 sec

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Vayam Rakshamah - Part 127 - Vadh | वयं रक्षाम: - भाग 127 - वध | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
    12 min 54 sec

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Vayam Rakshamah - Part 123 - Astrapani Rawan | वयं रक्षाम: - भाग 123 - अस्त्रपाणि रावण | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
    14 min 35 sec

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Vayam Rakshamah - Part 122 - Susamwad | वयं रक्षाम: - भाग 122 - सुसंवाद | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
    8 min 21 sec

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Vayam Rakshamah - Part 119 - Vajrapat | वयं रक्षाम: - भाग 119 - वज्रपात | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
    9 min 12 sec

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Vayam Rakshamah - Part 116 - Koot Yog | वयं रक्षाम: - भाग 116 - कूट योग | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
    7 min 52 sec

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Vayam Rakshamah - Part 115 - Vaidehi Vaikalya | वयं रक्षाम: - भाग 115 - वैदेही - वैकल्य | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
    11 min 18 sec

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Vayam Rakshamah - Part 112 - Abhisaar | वयं रक्षाम: - भाग 112 - अभिसार | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
    15 min 15 sec

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Vayam Rakshamah - Part 111 - Dhoorjati Ke Saanidhya Mein | वयं रक्षाम: - भाग 111 - धूर्जटि के सान्निध्य में | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
    13 min 44 sec

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Yeh Gali Bikau Nahin | Part - 12 | A Novel by Na. Parthasarathy| यह गली बिकाऊ नहीं | ना॰ पार्थसारथी का लिखा उपन्यास
    19 min

    इस उपन्यास में ना॰ पार्थसारथी ने एक निर्धन किंतु अत्यंत प्रतिभाशाली कलाकार के आत्माभिमान, व सिने जगत में सफल, समृद्ध, उसके पुराने कलाकार मित्र के बीच टकराव की कहानी प्रस्तुत की है। ना॰ पार्थसारथी तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास समुदाय वीधि के लिये उन्हें सन् 1971 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।उपन्यास यह गली बिकाऊ नहीं Novel Yeh Gali Bikau Nahinलेखक ना॰ पार्थसारथी Writer Na. Parthasarathyस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Yeh Gali Bikau Nahin | Part - 11 | A Novel by Na. Parthasarathy| यह गली बिकाऊ नहीं | ना॰ पार्थसारथी का लिखा उपन्यास
    17 min 1 sec

    इस उपन्यास में ना॰ पार्थसारथी ने एक निर्धन किंतु अत्यंत प्रतिभाशाली कलाकार के आत्माभिमान, व सिने जगत में सफल, समृद्ध, उसके पुराने कलाकार मित्र के बीच टकराव की कहानी प्रस्तुत की है। ना॰ पार्थसारथी तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास समुदाय वीधि के लिये उन्हें सन् 1971 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।उपन्यास यह गली बिकाऊ नहीं Novel Yeh Gali Bikau Nahinलेखक ना॰ पार्थसारथी Writer Na. Parthasarathyस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Yeh Gali Bikau Nahin | Part - 9 | A Novel by Na. Parthasarathy| यह गली बिकाऊ नहीं | ना॰ पार्थसारथी का लिखा उपन्यास
    16 min 29 sec

    इस उपन्यास में ना॰ पार्थसारथी ने एक निर्धन किंतु अत्यंत प्रतिभाशाली कलाकार के आत्माभिमान, व सिने जगत में सफल, समृद्ध, उसके पुराने कलाकार मित्र के बीच टकराव की कहानी प्रस्तुत की है। ना॰ पार्थसारथी तमिल भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक उपन्यास समुदाय वीधि के लिये उन्हें सन् 1971 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।उपन्यास यह गली बिकाऊ नहीं Novel Yeh Gali Bikau Nahinलेखक ना॰ पार्थसारथी Writer Na. Parthasarathyस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Gora | Part - 26 | A Novel by Rabindranath Tagore| गोरा | रवीन्द्रनाथ टैगोर का लिखा उपन्यास
    21 min 22 sec

    इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Gora | Part - 18 | A Novel by Rabindranath Tagore| गोरा | रवीन्द्रनाथ टैगोर का लिखा उपन्यास
    29 min 39 sec

    इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Gora | Part - 16 | A Novel by Rabindranath Tagore| गोरा | रवीन्द्रनाथ टैगोर का लिखा उपन्यास
    23 min 48 sec

    इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Gora | Part - 15 | A Novel by Rabindranath Tagore| गोरा | रवीन्द्रनाथ टैगोर का लिखा उपन्यास
    24 min 15 sec

    इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Gora | Part - 12 | A Novel by Rabindranath Tagore| गोरा | रवीन्द्रनाथ टैगोर का लिखा उपन्यास
    11 min 32 sec

    इस उपन्यास में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने खुद के गोद लिए जाने व आयरिश मातापिता की संतान होने, का पता चलने पर, एक राष्ट्रवादी कट्टर हिन्दू व्यक्ति के मन में मची उथलपुथल व व्यवहार में आए बदलाव की कहानी प्रस्तुत की है।उपन्यास गोरा Novel Goraलेखक रवीन्द्रनाथ टैगोर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Vayam Rakshamah - Part 74 - Ratn Koot Dwip | वयं रक्षाम: - भाग 74 - रत्न – कुट द्वीप | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
    16 min 8 sec

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Vayam Rakshamah - Part 73 - Subhadra Vat | वयं रक्षाम: - भाग 73 - सुभद्र वट | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
    11 min 42 sec

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन है। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Vayam Rakshamah - Part 65 - Aaryawart Mein Pravesh | वयं रक्षाम: - भाग 65 - आर्यावर्त में प्रवेश | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
    7 min 48 sec

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Vayam Rakshamah - Part 64 - Madhupuri Mein | वयं रक्षाम: - भाग 64 - मधुपुरी | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
    5 min 12 sec

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Vayam Rakshamah - Part 63 - Ravan Ki Mukti | वयं रक्षाम: - भाग 63 - रावण की मुक्ति | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
    7 min 32 sec

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Adhkhila Phool | Part- 22 | A Novel by Ayodhya Singh Upadhyay Hari Oudh | अधखिला फूल | अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध का लिखा उपन्यास |
    19 min 6 sec

    बालविवाह पश्चात पति के ग़ायब होने व पिता के सन्यासी बनने से व्यथित व दुखी एक अबोध बालिका को, अपने झूठे प्रेम जाल में फँसाने के लिए गाँव के एक रईस ज़मींदार पुत्र द्वारा अपनाई चालों, हथकंडो और बालिका के उनमें फँसने, मुक्त होने एवं अंत में पति व पिता के मिलने और अंतिम समय में ज़मींदार पुत्र के हृदय परिवर्तन की कहानी।उपन्यास अधखिला फूल Novel Adhkhila Phoolलेखक अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध Writer Ayodhya Singh Upadhyay Hari Oudhस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Adhkhila Phool | Part- 19 | A Novel by Ayodhya Singh Upadhyay Hari Oudh | अधखिला फूल | अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध का लिखा उपन्यास |
    12 min 53 sec

    बालविवाह पश्चात पति के ग़ायब होने व पिता के सन्यासी बनने से व्यथित व दुखी एक अबोध बालिका को, अपने झूठे प्रेम जाल में फँसाने के लिए गाँव के एक रईस ज़मींदार पुत्र द्वारा अपनाई चालों, हथकंडो और बालिका के उनमें फँसने, मुक्त होने एवं अंत में पति व पिता के मिलने और अंतिम समय में ज़मींदार पुत्र के हृदय परिवर्तन की कहानी।उपन्यास अधखिला फूल Novel Adhkhila Phoolलेखक अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध Writer Ayodhya Singh Upadhyay Hari Oudhस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Adhkhila Phool | Part- 14 | A Novel by Ayodhya Singh Upadhyay Hari Oudh | अधखिला फूल | अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध का लिखा उपन्यास |
    10 min 22 sec

    बालविवाह पश्चात पति के ग़ायब होने व पिता के सन्यासी बनने से व्यथित व दुखी एक अबोध बालिका को, अपने झूठे प्रेम जाल में फँसाने के लिए गाँव के एक रईस ज़मींदार पुत्र द्वारा अपनाई चालों, हथकंडो और बालिका के उनमें फँसने, मुक्त होने एवं अंत में पति व पिता के मिलने और अंतिम समय में ज़मींदार पुत्र के हृदय परिवर्तन की कहानी।उपन्यास अधखिला फूल Novel Adhkhila Phoolलेखक अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध Writer Ayodhya Singh Upadhyay Hari Oudhस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Adhkhila Phool | Part- 6 | A Novel by Ayodhya Singh Upadhyay Hari Oudh | अधखिला फूल | अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध का लिखा उपन्यास |
    10 min 7 sec

    बालविवाह पश्चात पति के ग़ायब होने व पिता के सन्यासी बनने से व्यथित व दुखी एक अबोध बालिका को, अपने झूठे प्रेम जाल में फँसाने के लिए गाँव के एक रईस ज़मींदार पुत्र द्वारा अपनाई चालों, हथकंडो और बालिका के उनमें फँसने, मुक्त होने एवं अंत में पति व पिता के मिलने और अंतिम समय में ज़मींदार पुत्र के हृदय परिवर्तन की कहानी।उपन्यास अधखिला फूल Novel Adhkhila Phoolलेखक अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध Writer Ayodhya Singh Upadhyay Hari Oudhस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Maila Aanchal | Part - 29 | A Novel by Phanishwar Nath 'Renu' | मैला आँचल | फणीश्वर नाथ 'रेणु' का लिखा उपन्यास
    11 min 40 sec

    मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Maila Aanchal | Part - 28 | A Novel by Phanishwar Nath 'Renu' | मैला आँचल | फणीश्वर नाथ 'रेणु' का लिखा उपन्यास
    10 min 18 sec

    मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Maila Aanchal | Part - 26 | A Novel by Phanishwar Nath 'Renu' | मैला आँचल | फणीश्वर नाथ 'रेणु' का लिखा उपन्यास
    8 min 33 sec

    मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Maila Aanchal | Part - 25 | A Novel by Phanishwar Nath 'Renu' | मैला आँचल | फणीश्वर नाथ 'रेणु' का लिखा उपन्यास
    19 min 34 sec

    मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Maila Aanchal | Part - 21 | A Novel by Phanishwar Nath 'Renu' | मैला आँचल | फणीश्वर नाथ 'रेणु' का लिखा उपन्यास
    10 min 9 sec

    मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Maila Aanchal | Part - 20 | A Novel by Phanishwar Nath 'Renu' | मैला आँचल | फणीश्वर नाथ 'रेणु' का लिखा उपन्यास
    10 min 39 sec

    मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Maila Aanchal | Part - 16 | A Novel by Phanishwar Nath 'Renu' | मैला आँचल | फणीश्वर नाथ 'रेणु' का लिखा उपन्यास
    16 min 58 sec

    मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Maila Aanchal | Part - 11 | A Novel by Phanishwar Nath 'Renu' | मैला आँचल | फणीश्वर नाथ 'रेणु' का लिखा उपन्यास
    11 min 48 sec

    मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Vayam Rakshamah - Part 13 - Daanav Makraaksh | वयं रक्षाम: - भाग 13 - दानव मकराक्ष | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
    12 min 40 sec

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Vayam Rakshamah - Part 7 - Aaditya | वयं रक्षाम: - भाग 7 - आदित्य | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
    12 min 35 sec

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Vayam Rakshamah - Part 6 - Varun Brahma | वयं रक्षाम: - भाग 6 - वरुण ब्रह्मा | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
    9 min 2 sec

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Vayam Rakshamah - Part 3 - Ab Se Saat Sahastrabdi Poorva | वयं रक्षाम: - भाग 3 - अब से सात सहस्राब्दी पूर्व | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
    18 min 34 sec

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Vayam Rakshamah - Part 2 - Na Tu Pratham Hai, Na Antim | वयं रक्षाम: - भाग 2 - न तू प्रथम है, न अन्तिम | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
    13 min 35 sec

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Vayam Rakshamah - Part 1 - Til Tandul | वयं रक्षाम: - भाग 1 - तिल तंदुल | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
    8 min 31 sec

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Maila Aanchal | Part - 67 | A Novel by Phanishwar Nath 'Renu' | मैला आँचल | फणीश्वर नाथ 'रेणु' का लिखा उपन्यास
    17 min 10 sec

    मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Maila Aanchal | Part - 65 | A Novel by Phanishwar Nath 'Renu' | मैला आँचल | फणीश्वर नाथ 'रेणु' का लिखा उपन्यास
    12 min 21 sec

    मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Maila Aanchal | Part - 63 | A Novel by Phanishwar Nath 'Renu' | मैला आँचल | फणीश्वर नाथ 'रेणु' का लिखा उपन्यास
    6 min 39 sec

    मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Maila Aanchal | Part - 60 | A Novel by Phanishwar Nath 'Renu' | मैला आँचल | फणीश्वर नाथ 'रेणु' का लिखा उपन्यास
    6 min 34 sec

    मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Vayam Rakshamah - Part 20 - Taarkaamay | वयं रक्षाम: - भाग 20 - तारकामय | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
    4 min 44 sec

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Maila Aanchal | Part - 52 | A Novel by Phanishwar Nath 'Renu' | मैला आँचल | फणीश्वर नाथ 'रेणु' का लिखा उपन्यास
    10 min 54 sec

    मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Maila Aanchal | Part - 43 | A Novel by Phanishwar Nath 'Renu' | मैला आँचल | फणीश्वर नाथ 'रेणु' का लिखा उपन्यास
    12 min 7 sec

    मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Maila Aanchal | Part - 42 | A Novel by Phanishwar Nath 'Renu' | मैला आँचल | फणीश्वर नाथ 'रेणु' का लिखा उपन्यास
    10 min 58 sec

    मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Maila Aanchal | Part - 40 | A Novel by Phanishwar Nath 'Renu' | मैला आँचल | फणीश्वर नाथ 'रेणु' का लिखा उपन्यास
    9 min 19 sec

    मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Maila Aanchal | Part - 36 | A Novel by Phanishwar Nath 'Renu' | मैला आँचल | फणीश्वर नाथ 'रेणु' का लिखा उपन्यास
    8 min 33 sec

    मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Maila Aanchal | Part - 34 | A Novel by Phanishwar Nath 'Renu' | मैला आँचल | फणीश्वर नाथ 'रेणु' का लिखा उपन्यास
    10 min

    मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Vayam Rakshamah - Part 56 - Matri Vadh | वयं रक्षाम: - भाग 56 - मातृवध| A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
    16 min 14 sec

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Vayam Rakshamah - Part 46 - Guyaad Guhyatam | वयं रक्षाम: - भाग 46 - गुह्याद् गुह्यतमम् | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
    1 min 33 sec

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Vayam Rakshamah - Part 41 - Gandharvon Ki Nagri Mein | वयं रक्षाम: - भाग 41 - गन्धर्वो की नगरी में | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
    6 min 57 sec

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Vayam Rakshamah - Part 39 - Sahgaman | वयं रक्षाम: - भाग 39 - सहगमन | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
    6 min 9 sec

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Maila Aanchal | Part - 8 | A Novel by Phanishwar Nath 'Renu' | मैला आँचल | फणीश्वर नाथ 'रेणु' का लिखा उपन्यास
    15 min 11 sec

    मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Maila Aanchal | Part - 2 | A Novel by Phanishwar Nath 'Renu' | मैला आँचल | फणीश्वर नाथ 'रेणु' का लिखा उपन्यास
    14 min 34 sec

    मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Maila Aanchal | Part - 1 | A Novel by Phanishwar Nath 'Renu' | मैला आँचल | फणीश्वर नाथ 'रेणु' का लिखा उपन्यास
    9 min 14 sec

    मैला आँचल फणीश्वर नाथ रेणु का प्रतिनिधि उपन्यास है। यह हिन्दी का श्रेष्ठ और सशक्त आंचलिक उपन्यास है। नेपाल की सीमा से सटे उत्तरपूर्वी बिहार के एक पिछड़े ग्रामीण अंचल को पृष्ठभूमि बनाकर रेणु ने इसमें वहाँ के जीवन का, जिससे वह स्वयं ही घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, अत्यन्त जीवन्त और मुखर चित्रण किया है।सन् १९५४ में प्रकाशित इस उपन्यास की कथा वस्तु बिहार राज्य के पूर्णिया जिले के मेरीगंज की ग्रामीण जिंदगी से संबद्ध है। यह स्वतंत्र होते और उसके तुरन्त बाद के भारत के राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिदृश्य का ग्रामीण संस्करण है। रेणु के अनुसार इसमें फूल भी है, शूल भी है, धूल भी है, गुलाब भी है और कीचड़ भी है। मैं किसी से दामन बचाकर निकल नहीं पाया। इसमें ग़रीबी, रोग, भुखमरी, जहालत, धर्म की आड़ में हो रहे व्यभिचार, शोषण, आडंबरों, अंधविश्वासों आदि का चित्रण है। शिल्प की दृष्टि से इसमें फिल्म की तरह घटनाएं एक के बाद एक घटकर विलीन हो जाती है। और दूसरी प्रारंभ हो जाती है। इसमें घटना प्रधानता है किंतु कोई केन्द्रीय चरित्र या कथा नहीं है। इसमें नाटकीयता और किस्सा गोई शैली का प्रयोग किया गया है। इसे हिन्दी में आँचलिक उपन्यासों के प्रवर्तन का श्रेय भी प्राप्त है।कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की इस युगान्तकारी औपन्यासिक कृति में कथा शिल्प के साथसाथ भाषा शिल्प और शैली शिल्प का विलक्षण सामंजस्य है जो जितना सहजस्वाभाविक है, उतना ही प्रभावकारी और मोहक भी।उपन्यास मैला आँचल Novel Maila Aanchalलेखक फणीश्वर नाथ रेणु Writer Phanishwar Nath Renuस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Chokher Bali | Part - 51 | Aankh Ki Kirkiri (Hindi) | Novel by Rabindranath Tagore | चोखेर बाली | आँख की किरकिरी (हिन्दी)
    20 min 37 sec

    उपन्यास आँख की किरकिरी चोखेर बाली Novel Aankh Ki Kirkiri Chokher Baliलेखक रवीन्द्रनाथ टैगौर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Chokher Bali | Part - 49 | Aankh Ki Kirkiri (Hindi) | Novel by Rabindranath Tagore | चोखेर बाली | आँख की किरकिरी (हिन्दी)
    11 min 31 sec

    उपन्यास आँख की किरकिरी चोखेर बाली Novel Aankh Ki Kirkiri Chokher Baliलेखक रवीन्द्रनाथ टैगौर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Chokher Bali | Part - 48 | Aankh Ki Kirkiri (Hindi) | Novel by Rabindranath Tagore | चोखेर बाली | आँख की किरकिरी (हिन्दी)
    10 min 21 sec

    उपन्यास आँख की किरकिरी चोखेर बाली Novel Aankh Ki Kirkiri Chokher Baliलेखक रवीन्द्रनाथ टैगौर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Chokher Bali | Part - 46 | Aankh Ki Kirkiri (Hindi) | Novel by Rabindranath Tagore | चोखेर बाली | आँख की किरकिरी (हिन्दी)
    6 min 47 sec

    उपन्यास आँख की किरकिरी चोखेर बाली Novel Aankh Ki Kirkiri Chokher Baliलेखक रवीन्द्रनाथ टैगौर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Chokher Bali | Part - 42 | Aankh Ki Kirkiri (Hindi) | Novel by Rabindranath Tagore | चोखेर बाली | आँख की किरकिरी (हिन्दी)
    10 min 56 sec

    उपन्यास आँख की किरकिरी चोखेर बाली Novel Aankh Ki Kirkiri Chokher Baliलेखक रवीन्द्रनाथ टैगौर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Chokher Bali | Part - 11 | Aankh Ki Kirkiri (Hindi) | Novel by Rabindranath Tagore | चोखेर बाली | आँख की किरकिरी (हिन्दी)
    7 min 32 sec

    उपन्यास आँख की किरकिरी चोखेर बाली Novel Aankh Ki Kirkiri Chokher Baliलेखक रवीन्द्रनाथ टैगौर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Chokher Bali | Part - 10 | Aankh Ki Kirkiri (Hindi) | Novel by Rabindranath Tagore | चोखेर बाली | आँख की किरकिरी (हिन्दी)
    6 min 20 sec

    उपन्यास आँख की किरकिरी चोखेर बाली Novel Aankh Ki Kirkiri Chokher Baliलेखक रवीन्द्रनाथ टैगौर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Chokher Bali | Part - 8 | Aankh Ki Kirkiri (Hindi) | Novel by Rabindranath Tagore | चोखेर बाली | आँख की किरकिरी (हिन्दी)
    7 min 37 sec

    उपन्यास आँख की किरकिरी चोखेर बाली Novel Aankh Ki Kirkiri Chokher Baliलेखक रवीन्द्रनाथ टैगौर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Chokher Bali | Part - 3 | Aankh Ki Kirkiri (Hindi) | Novel by Rabindranath Tagore | चोखेर बाली | आँख की किरकिरी (हिन्दी)
    9 min 46 sec

    उपन्यास आँख की किरकिरी चोखेर बाली Novel Aankh Ki Kirkiri Chokher Baliलेखक रवीन्द्रनाथ टैगौर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Somnath | Part - 121 Sur Sagar Paar | A Novel by Acharaya Chatursen Shastri | Based on the attack of Mahmud of Ghazni at Somnath | सोमनाथ उपन्यास
    10 min 3 sec

    बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है।  सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Somnath | Part - 119 Taahar Ki Garhi Mein | A Novel by Acharaya Chatursen Shastri | Based on the attack of Mahmud of Ghazni at Somnath | सोमनाथ उपन्यास
    7 min 28 sec

    बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है।  सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Somnath | Part - 118 Mundra Mein | A Novel by Acharaya Chatursen Shastri | Based on the attack of Mahmud of Ghazni at Somnath | सोमनाथ उपन्यास
    9 min 43 sec

    बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है।  सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Somnath | Part - 116 Kanth Kot Ki Or | A Novel by Acharaya Chatursen Shastri | Based on the attack of Mahmud of Ghazni at Somnath | सोमनाथ उपन्यास
    5 min 41 sec

    बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है।  सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Somnath | Part - 115 Patan Se Prasthaan | A Novel by Acharaya Chatursen Shastri | Based on the attack of Mahmud of Ghazni at Somnath | सोमनाथ उपन्यास
    12 min 44 sec

    बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है।  सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Chokher Bali | Part - 40 | Aankh Ki Kirkiri (Hindi) | Novel by Rabindranath Tagore | चोखेर बाली | आँख की किरकिरी (हिन्दी)
    23 min 7 sec

    उपन्यास आँख की किरकिरी चोखेर बाली Novel Aankh Ki Kirkiri Chokher Baliलेखक रवीन्द्रनाथ टैगौर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Chokher Bali | Part - 38 | Aankh Ki Kirkiri (Hindi) | Novel by Rabindranath Tagore | चोखेर बाली | आँख की किरकिरी (हिन्दी)
    8 min 15 sec

    उपन्यास आँख की किरकिरी चोखेर बाली Novel Aankh Ki Kirkiri Chokher Baliलेखक रवीन्द्रनाथ टैगौर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Chokher Bali | Part - 34 | Aankh Ki Kirkiri (Hindi) | Novel by Rabindranath Tagore | चोखेर बाली | आँख की किरकिरी (हिन्दी)
    14 min 54 sec

    उपन्यास आँख की किरकिरी चोखेर बाली Novel Aankh Ki Kirkiri Chokher Baliलेखक रवीन्द्रनाथ टैगौर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Chokher Bali | Part - 33 | Aankh Ki Kirkiri (Hindi) | Novel by Rabindranath Tagore | चोखेर बाली | आँख की किरकिरी (हिन्दी)
    9 min 43 sec

    उपन्यास आँख की किरकिरी चोखेर बाली Novel Aankh Ki Kirkiri Chokher Baliलेखक रवीन्द्रनाथ टैगौर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Chokher Bali | Part - 30 | Aankh Ki Kirkiri (Hindi) | Novel by Rabindranath Tagore | चोखेर बाली | आँख की किरकिरी (हिन्दी)
    9 min 17 sec

    उपन्यास आँख की किरकिरी चोखेर बाली Novel Aankh Ki Kirkiri Chokher Baliलेखक रवीन्द्रनाथ टैगौर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Chokher Bali | Part - 18 | Aankh Ki Kirkiri (Hindi) | Novel by Rabindranath Tagore | चोखेर बाली | आँख की किरकिरी (हिन्दी)
    15 min 12 sec

    उपन्यास आँख की किरकिरी चोखेर बाली Novel Aankh Ki Kirkiri Chokher Baliलेखक रवीन्द्रनाथ टैगौर Writer Rabindranath Tagoreस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Somnath | Part - 109 Bandiyon Ka Satsaahas | A Novel by Acharaya Chatursen Shastri | Based on the attack of Mahmud of Ghazni at Somnath | सोमनाथ उपन्यास
    10 min 45 sec

    बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है।  सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Somnath | Part - 105 Saamant Chauhan | A Novel by Acharaya Chatursen Shastri | Based on the attack of Mahmud of Ghazni at Somnath | सोमनाथ उपन्यास
    8 min 17 sec

    बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है।  सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Somnath | Part - 102 Atirath Ka Saammukhya | A Novel by Acharaya Chatursen Shastri | Based on the attack of Mahmud of Ghazni at Somnath | सोमनाथ उपन्यास
    13 min 33 sec

    बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है।  सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Somnath | Part - 101 Prano Ka Mulya | A Novel by Acharaya Chatursen Shastri | Based on the attack of Mahmud of Ghazni at Somnath | सोमनाथ उपन्यास
    5 min 40 sec

    बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है।  सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Somnath | Part - 100 Sharnapann | A Novel by Acharaya Chatursen Shastri | Based on the attack of Mahmud of Ghazni at Somnath | सोमनाथ उपन्यास
    4 min 24 sec

    बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है।  सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Vayam Rakshamah - Part 26 - Paurav | वयं रक्षाम: - भाग 26 - पौरव | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
    5 min 58 sec

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Vayam Rakshamah - Part 17 - Madhuyaamini | वयं रक्षाम: - भाग 17 - मधुयामिनी | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
    14 min 57 sec

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Vayam Rakshamah - Part 16 - Sumba Dwip Mein | वयं रक्षाम: - भाग 16 - सुम्बा द्वीप में | A Novel by Acharya Chatursen Shastri | आचार्य चतुरसेन शास्त्री का लिखा उपन्यास
    10 min 53 sec

    वयं रक्षाम: में प्राग्वेदकालीन जातियों के सम्बन्ध में सर्वथा अकल्पित अतर्कित नई स्थापनाएं हैं , मुक्त सहवास है, विवसन विचरण है, हरण और पलायन ह। शिश्नदेव की उपासना है, वैदिक अवैदिक अश्रुत मिश्रण है। नर मांस की खुले बाजार में बिक्री है, नृत्य है, मद है, उन्मुख अनावृत यौवन है ।इस उपन्यास में प्राग्वेदकालीन नर, नाग, देव, दैत्यदानव, आर्यअनार्य आदि विविध नृवंशों के जीवन के वे विस्तृतपुरातन रेखाचित्र हैं, जिन्हें धर्म के रंगीन शीशे में देख कर सारे संसार ने अंतरिक्ष का देवता मान लिया था। मैं इस उपन्यास में उन्हें नर रूप में आपके समक्ष उपस्थित करने का साहस कर रहा हूँ। आज तक कभी मनुष्य की वाणी से न सुनी गई बातें, मैं आपको सुनाने पर आमादा हूँ।....उपन्यास में मेरे अपने जीवनभर के अध्ययन का सार है।...आचार्य चतुरसेनउपन्यास वयं रक्षाम: Novel Vayam Rakshamahलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Somnath | Part - 62 Abhisar | A Novel by Acharaya Chatursen Shastri | Based on the attack of Mahmud of Ghazni at Somnath | सोमनाथ उपन्यास
    7 min 9 sec

    बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है।  सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Somnath | Part - 60 Prabhas Durgadhishthan | A Novel by Acharaya Chatursen Shastri | Based on the attack of Mahmud of Ghazni at Somnath | सोमनाथ उपन्यास
    4 min 25 sec

    बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है।  सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Somnath | Part - 58 Antim Nritya | A Novel by Acharaya Chatursen Shastri | Based on the attack of Mahmud of Ghazni at Somnath | सोमनाथ उपन्यास
    6 min 40 sec

    बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है।  सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Somnath | Part - 55 Shatru Nimantran | A Novel by Acharaya Chatursen Shastri | Based on the attack of Mahmud of Ghazni at Somnath | सोमनाथ उपन्यास
    8 min 40 sec

    बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है।  सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Somnath | Part - 52 Param Parmeshwar | A Novel by Acharaya Chatursen Shastri | Based on the attack of Mahmud of Ghazni at Somnath | सोमनाथ उपन्यास
    7 min 34 sec

    बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है।  सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Somnath | Part - 51 Junagarh Ka Rao | A Novel by Acharaya Chatursen Shastri | Based on the attack of Mahmud of Ghazni at Somnath | सोमनाथ उपन्यास
    6 min 28 sec

    बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है।  सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Somnath | Part - 49 Vifal Prayas | A Novel by Acharaya Chatursen Shastri | Based on the attack of Mahmud of Ghazni at Somnath | सोमनाथ उपन्यास
    5 min 33 sec

    बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है।  सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Somnath | Part - 46 Puraskar | A Novel by Acharaya Chatursen Shastri | Based on the attack of Mahmud of Ghazni at Somnath | सोमनाथ उपन्यास
    6 min 47 sec

    बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है।  सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Somnath | Part - 45 Ajmer Ki Tabaahi | A Novel by Acharaya Chatursen Shastri | Based on the attack of Mahmud of Ghazni at Somnath | सोमनाथ उपन्यास
    3 min 33 sec

    बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है।  सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Somnath | Part - 42 Kapat Sandhi | A Novel by Acharaya Chatursen Shastri | Based on the attack of Mahmud of Ghazni at Somnath | सोमनाथ उपन्यास
    3 min 47 sec

    बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है।  सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Somnath | Part - 39 Dharmgajdev | A Novel by Acharaya Chatursen Shastri | Based on the attack of Mahmud of Ghazni at Somnath | सोमनाथ उपन्यास
    11 min 50 sec

    बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है।  सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Somnath | Part - 37 Raj Kalah | A Novel by Acharaya Chatursen Shastri | Based on the attack of Mahmud of Ghazni at Somnath | सोमनाथ उपन्यास
    13 min 49 sec

    बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है।  सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Somnath | Part - 33 Kootmantra | A Novel by Acharaya Chatursen Shastri | Based on the attack of Mahmud of Ghazni at Somnath | सोमनाथ उपन्यास
    12 min 31 sec

    बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है।  सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Somnath | Part - 25 Ghoghabapa | A Novel by Acharaya Chatursen Shastri | Based on the attack of Mahmud of Ghazni at Somnath | सोमनाथ उपन्यास
    10 min 6 sec

    बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है।  सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Somnath | Part - 15 Peero Murshid | A Novel by Acharaya Chatursen Shastri | Based on the attack of Mahmud of Ghazni at Somnath | सोमनाथ उपन्यास
    6 min 17 sec

    बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है।  सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Somnath | Part - 13 Mahakal Mochan | A Novel by Acharaya Chatursen Shastri | Based on the attack of Mahmud of Ghazni at Somnath | सोमनाथ उपन्यास
    9 min 18 sec

    बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है।  सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Somnath | Part - 11 Agam Path par | A Novel by Acharaya Chatursen Shastri | Based on the attack of Mahmud of Ghazni at Somnath | सोमनाथ उपन्यास
    6 min 40 sec

    बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है।  सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Somnath | Part - 8 Mauni Baba | A Novel by Acharaya Chatursen Shastri | Based on the attack of Mahmud of Ghazni at Somnath | सोमनाथ उपन्यास
    6 min 43 sec

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  • Somnath | Part - 7 Bhairvi Chakra | A Novel by Acharaya Chatursen Shastri | Based on the attack of Mahmud of Ghazni at Somnath | सोमनाथ उपन्यास
    6 min 7 sec

    बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है।  सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Somnath | Part - 3 Udyaast | A Novel by Acharaya Chatursen Shastri | Based on the attack of Mahmud of Ghazni at Somnath | सोमनाथ उपन्यास
    9 min 44 sec

    बारह ज्योतिर्लिंगों में सोमनाथ का अग्रणी स्थान है। अन्य विदेशी आक्रमणकारियों के अलावा महमूद गजनवी ने इस आदिमंदिर के वैभव को 16 बार लूटा। पर सूर्यवंशी राजाओं के पराक्रम से वह भय भी खाता था। फिर भी लूट का यह सिलसिला सदियों तक चला। यह सब इस उपन्यास की पृष्ठभूमि है।  सोमनाथ का दूसरा पक्ष भी है जो उपन्यास में जीवंत हुआ है। मंदिर के विशाल प्रांगण में गूंजती घुंघरुओं की झनकार इस जीवन की लय को ताल देती है। जीवन का यह संगीत भारत के जनमानस का संगीत है। आततायियों के नगाड़ों का शोर इसे दबा नहीं पाता। एक अजब सी शक्ति से वह फिरफिर उठता है और करता हैएक और पुनर्निर्माण। निर्माण और विध्वंस की यही शृंखला इस कथा का आधार है।उपन्यास सोमनाथ Novel Somnathलेखक आचार्य चतुरसेन शास्त्री Writer Acharya Chatursen Shastriस्वर समीर गोस्वामी Narration Sameer Goswamihttps://kahanisuno.com/http://instagram.com/sameergoswamikahanisunohttps://www.facebook.com/kahanisuno/http://twitter.com/goswamisameer/https://sameergoswami.com

  • Somnath | Part - 94 Aaskaran Seth Ka Desaawar | A Novel by Acharaya Chatursen Shastri | Based on the attack of Mahmud of Ghazni at Somnath | सोमनाथ उपन्यास
    5 min 58 sec

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  • Somnath | Part - 91 Viyog Sanyog | A Novel by Acharaya Chatursen Shastri | Based on the attack of Mahmud of Ghazni at Somnath | सोमनाथ उपन्यास
    8 min 11 sec

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  • Somnath | Part - 90 Khambhat | A Novel by Acharaya Chatursen Shastri | Based on the attack of Mahmud of Ghazni at Somnath | सोमनाथ उपन्यास
    5 min 44 sec

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