thumb podcast icon

Cine-Maya

U/A 13+ • TV & Film

भारतीय सिनेमा के इतिहास को अगर भारतीय सिनेमा का पुरुष इतिहास कहा जाए तो कुछ ग़लत नहीं होगा. सिनेमा और ओरतें...ये ज़िक्र छेड़ा जाए तो आमतौर पर दिमाग़ में उभरते हैं पर्दे पर नज़र आने वाले चंद किरदार, कुछ चकाचौंध करने वाले चेहरे और ग्लैमर का बाज़ार. फ़िल्म निर्देशकों का ज़िक्र हो तो क्या आपको कोई महिला निर्देशिका एकदम से याद आती है चलिए एक कोशिश करते हैं हमारे आस पास मौजूद होकर भी नज़र ना आने वाली इन महिला निर्देशिकाओं के सिनेमाई मायाजाल को समझने की.सिनेमाया सिर्फ़ एक पॉडकास्ट नहीं, एक पहल है. हम भारत की 8 महिला निर्देशकों की कला, नज़रिए और फ़िल्म इंडस्ट्री में उनके अनुभव पर चर्चा करेंगे. 10 जनवरी से सुनिए सिने माया स्वाति बक्शी के साथ.When we think about film directors in Indian cinema, do we ever think about women directors The answer to this simple question underlines the complicated reality of film history and the invisibility of women directors. The debates and discussions around women and cinema usually tend to focus on the issues of representation and objectification but what about their authorial voice, their art and aesthetic What about their creative drive, the decisions that they made and the obstacles that they faced as a director in the masculine world of the Indian film industryCineMaya is a podcast that aims to decode the work and life of women directors, their vision and film language. This special series brings 8 Indian women directors in conversation with Swati Bakshi to discuss their cinematic journey. Episode out every Thursday, starting 10th January 2019.

  • एपिसोड. 00: क्या है सिने-माया ?
    1 min 41 sec

    भारतीय सिनेमा के इतिहास को अगर भारतीय सिनेमा का पुरुष इतिहास कहा जाए तो कुछ ग़लत नहीं होगा....

  • एपिसोड 01. नंदिता दास का सिनेमाई सफ़र
    42 min

    सिनेमाया की पहली मेहमान हैं अभिनेत्री और निर्देशिका नंदिता दास जिनकी हालिया रिलीज़ फ़िल्म...

  • एपिसोड. 02: तनूजा चंद्रा, थ्रिलर और छोटे शहर
    42 min 23 sec

    फ़िल्मकारों की नज़र और नज़रिए पर किन चीज़ों की छाप होती है बचपन में बिताए पलों का उनकी कला से...

  • एपिसोड. 03: अरुणा राजे पाटिल: कहानी ता-उम्र जूझने की
    44 min 39 sec

    सिनेमाया की तीसरी कड़ी में अरुणा राजे पाटिल से हुई बातचीत सिर्फ़ एक निर्देशिका के फ़िल्मी...

  • एपिसोड 04. पारोमिता वोहरा: बेबाक, बिंदास और बेख़ौफ़ ज़ुबान
    48 min

    कुछ लोगों से मिलने के बाद ये समझ में आता है कि भले ही उनके काम की चर्चा सारा ज़माना ना कर रहा हो...

  • एपिसोड. 05: लीना यादव: 'शब्द' से 'राजमा चावल' तक
    36 min 23 sec

    सिनेमाया की इस कड़ी में आप मिलेंगे वीडियो एडिटर से निर्देशन तक का सफ़र तय करने वाली लीना यादव...

  • एपिसोड. 06: राजश्री ओझा: शहरी नज़र, ग्लोबल नज़रिया!
    29 min 16 sec

    राजश्री ओझा ने अमेरिका में पढ़ाई करने के बाद मुंबई आने का फ़ैसला किया. दस साल के करियर में उनके...

  • एपिसोड. 07: शोनाली बोस: सुलगते सवालों से जूझने की ज़िद!
    30 min 33 sec

    1984 में जब दिल्ली में सिखविरोधी दंगे भड़के तब शोनाली बोस शहर में मौजूद थीं. उन्होने वो सारा मंज़र...

  • एपिसोड. 08: अलंकृता श्रीवास्तव: रोक सको तो रोक लो!
    32 min 52 sec

    अलंकृता श्रीवास्तव हिंदी फ़िल्म निर्देशिकाओं की नई पीढ़ी की नुमाइंदगी करती हैं. उनका कहना है...

Language

English

Genre

TV & Film

Seasons

1

Author