thumb podcast icon

एपिसोड 04. पारोमिता वोहरा: बेबाक, बिंदास और बेख़ौफ़ ज़ुबान

U/A 13+ • TV & Film

कुछ लोगों से मिलने के बाद ये समझ में आता है कि भले ही उनके काम की चर्चा सारा ज़माना ना कर रहा हो लेकिन उनका काम अपने आप में कितना अहम है और कितने लोगों को छू रहा है. पारोमिता वोहरा से मिलकर शायद आपको भी ऐसा ही लगेगा. बॉलीवुड कहे जाने वाले सिनेमा ने उन्हें मजबूर किया कि वो अपनी एक नई भाषा गढ़ें और उसी के साथ आगे बढ़ें. पारोमिता की डाक्यूमेंट्री फ़िल्में शोध का विषय हैं और बहुत हैरानी की बात होगी अगर आने वाले दिनों में उनकी फ़िल्मी भाषा और ऐस्थेटिक पर गहन अकादमिक चर्चा ना हो. It is difficult to define film director Paromita Vohra as she is constantly redefining herself. She is a director with a difference who believes in raising questions and provoking the desire to look for answers. She is a creative practitioner of sexual politics who is empowering people by devising tools to understand and express themselves as sexual beings. Paromita joins Swati Bakshi to talk about her documentaries, her directorial decisions and the politics of Bollywood. You can check out Paromitas innovative website Agents of Ishqhttp://agentsofishq.com/See omnystudio.com/listener for privacy information.

  • एपिसोड. 00: क्या है सिने-माया ?
    1 min 41 sec

    भारतीय सिनेमा के इतिहास को अगर भारतीय सिनेमा का पुरुष इतिहास कहा जाए तो कुछ ग़लत नहीं होगा....

  • एपिसोड 01. नंदिता दास का सिनेमाई सफ़र
    42 min

    सिनेमाया की पहली मेहमान हैं अभिनेत्री और निर्देशिका नंदिता दास जिनकी हालिया रिलीज़ फ़िल्म...

  • एपिसोड. 02: तनूजा चंद्रा, थ्रिलर और छोटे शहर
    42 min 23 sec

    फ़िल्मकारों की नज़र और नज़रिए पर किन चीज़ों की छाप होती है बचपन में बिताए पलों का उनकी कला से...

  • एपिसोड. 03: अरुणा राजे पाटिल: कहानी ता-उम्र जूझने की
    44 min 39 sec

    सिनेमाया की तीसरी कड़ी में अरुणा राजे पाटिल से हुई बातचीत सिर्फ़ एक निर्देशिका के फ़िल्मी...

  • एपिसोड. 05: लीना यादव: 'शब्द' से 'राजमा चावल' तक
    36 min 23 sec

    सिनेमाया की इस कड़ी में आप मिलेंगे वीडियो एडिटर से निर्देशन तक का सफ़र तय करने वाली लीना यादव...

  • एपिसोड. 06: राजश्री ओझा: शहरी नज़र, ग्लोबल नज़रिया!
    29 min 16 sec

    राजश्री ओझा ने अमेरिका में पढ़ाई करने के बाद मुंबई आने का फ़ैसला किया. दस साल के करियर में उनके...

  • एपिसोड. 07: शोनाली बोस: सुलगते सवालों से जूझने की ज़िद!
    30 min 33 sec

    1984 में जब दिल्ली में सिखविरोधी दंगे भड़के तब शोनाली बोस शहर में मौजूद थीं. उन्होने वो सारा मंज़र...

  • एपिसोड. 08: अलंकृता श्रीवास्तव: रोक सको तो रोक लो!
    32 min 52 sec

    अलंकृता श्रीवास्तव हिंदी फ़िल्म निर्देशिकाओं की नई पीढ़ी की नुमाइंदगी करती हैं. उनका कहना है...

Language

English

Genre

TV & Film

Author